करो कृपा हे मातु दयाला,ऋद्धि-सिद्धि दे करहु निहाला॥
जब लग जियूँ फल मैं पावूँ,तुम्हरे यश सदा मैं गावूँ॥
दुर्गा चालीसा जो कोई गावै,सब सुख भोग परम पद पावै॥
देवी-दास शरण में आनी,करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥
॥ दोहा ॥
सर्वमंगल-मांगल्ये शिवे सर्वार्थ-साधिके,शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणी नमोऽस्तुते॥
॥ आरती — जय अम्बे गौरी ॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी,तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥माँग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को,उज्ज्वल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको॥केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी,सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी॥कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै,रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै॥शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, असुर निकन्दन,धूम्र-विलोचन निहन, मधु-कैटभ-भंजन॥चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणितबीज हरे,महिषासुर मर्दिनि, सुर भयहीन करे॥ब्रह्माणी रुद्राणी, तुम कमला रानी,आगम-निगम बखानी, तुम शिव पटरानी॥चौंसठ योगिनियाँ, मंगल गावैं,नृत्य करत भैरू, बाजत मृदंग डमरू॥कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती,श्री अंबे जी की आरती, जो कोई नर गाती॥कहत शिवानन्द स्वामी, सुनो माता रानी,जनम-जनम की बाधा, हरहु अब भवानी॥
॥ मन्त्र — ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॥
Transliteration
Om Aiṁ Hrīṁ Klīṁ Cāmuṇḍāyai Vicce.
॥ मन्त्र — ॐ दुं दुर्गायै नमः ॥
ॐ दुं दुर्गायै नमः ॥
॥ स्तुति — या देवी सर्वभूतेषु ॥
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता ।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ॥
Meaning / भावार्थ
ENSeed mantra of the Goddess (Navārṇa), the devotional “Om Dum Durgāyai Namaḥ,” and the famous stuti honoring the Goddess as the Power present in all beings.
HIदेवी का बीज (नवर्ण) मन्त्र, “ॐ दुं दुर्गायै नमः” जप, और “या देवी…” स्तुति — देवी के सर्वव्यापी शक्ति-स्वरूप का नमन्।
तस्य न जायते किंचित् अशुभं रणसंकटे ।नापदं तस्य पश्यामि शोकदुःखभयं न हि ॥ १५ ॥
यः पठेत् प्रयतो नित्यं त्रिसंध्यं श्रद्धयान्वितः ।तस्य सर्वे भया नश्यन्ति, सर्वत्र विजयम् लभेत् ॥ १६ ॥
Meaning / भावार्थ (संक्षेप)
ENThe *Devi (Durga) Kavach* invokes multiple forms of the Goddess to guard every limb and direction; recitation is traditionally believed to dispel fear and grant protection and victory.
HI*देवी/दुर्गा कवच* में देवी के रूपों द्वारा अंग-अंग व दिशाओं की रक्षा का विनियोग है; श्रद्धापूर्वक पाठ भय-निवारण, रक्षा और विजयदायक माना जाता है।